बुआ की चुदाई ( Bua ki chudai kahani in hindi )
मेरा नाम राजू है। मेरे पापा के चाचा की लड़की थी उर्वशी, जो रिश्ते में मेरी बुआ लगती थी। जब मैं कॉलेज प्रथम वर्ष में रहा होगा, तब वो भी कॉलेज जाती थी। वो दिखने में काफी अच्छी थी। साफ रंग था उनका। बुआ और मैं साथ में काफी खेला करते थे। छुपम-छाई पकड़म-पाटी। और बुआ मुझे गुदगुदी भी किया करती थी। मुझे आज भी याद है बुआ मुझे गुदगुदी के बहाने लंड पर छू लिया करती थी। मेरी चड्डी में हात डाल कर गुदगुदी किया करती थी।
एक बार की बात है मेरा लंड नया-नया खड़ा होना शुरू किया होगा। तब मुझे पता भी नहीं था कि इससे सेक्स भी करते है और स्पर्म भी निकलता है। एक बार बुआ के साथ मस्ती करते-करते कुछ अजीब सा लगा, और मेरा लंड काफी कड़क होकर दुखने लगा। मैंने बाद में बाथरूम में जाकर देखा तो पता नहीं लंड पर सफेद-सफेद सा कुछ था एक बूंद। मैं डर गया मुझे लगा कि मुझे पस आ रहा था। मैं काफी परेशान हो गया।
थोड़ी देर तक मुझे परेशान देखने के बाद बुआ मुझसे पूछने लगी: क्या हुआ राजू? परेशान क्यूं है? कुछ हुआ क्या?
मैं: नहीं बुआ, कुछ नहीं हुआ।
बुआ: अरे बता ना, अपनी बुआ को नहीं बताएगा? में तो तेरी फ्रेंड हूं ना।
मैं: नहीं बुआ, कुछ नहीं हुआ।
बुआ (मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया): चल अब बता मुझे क्या हुआ है?
मैं: बुआ शायद मुझे लग गई है, सूसू से पस जैसा कुछ निकला।
बुआ: अच्छा दिखा मुझे।
मैं: नहीं बुआ, उसके लिए तो चड्डी उतरनी पड़ेगी।
बुआ: तो क्या हुआ, मैं तेरी बुआ हूं। मुझसे क्या शर्म।
मैं: अच्छा ठीक है बुआ (ये कहते हुए मैंने अपनी चड्डी उतार दी).।
मेरा लंड तब बैठा हुआ था।
बुआ ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और बोली: दिखा क्या हुआ है?
बुआ के लंड हाथ में लेते ही मेरा लंड बड़ा होने लगा। मेरे लंड की लंबाई और मोटाई देख कर बुआ भी हैरान हो गई।
मैं: बुआ ये क्या हो रहा है?
बुआ: कुछ नहीं, तू डर मत, ये तो होता है। तुझे कुछ नहीं हुआ है। बड़े होते है ना, तो ये भी बड़ा हो जाता है।
मैं: पर बुआ वो पस? और ये इतना कड़क क्यूं हो रहा?
बुआ: वो पस नहीं स्पर्म है, और देख मैं तुझे एक चीज सिखाती हूं। उससे ये वापिस छोटा हो जायेगा।
ये कह कर बुआ मेरा लंड हिलाने लगी। मुझे एक-दम से अच्छा सा लगने लगा। फिर थोड़ी देर में मुझे लगा कि मुझे सुसु आ जायेगी।
मैं: बुआ रुको, मुझे सुसु जैसा हो रहा है।
पर बुआ रुकी नहीं। फिर एक-दम से मेरे लंड से कुछ सफेद-सफेद सा निकला, और मुझे बहुत अच्छा लगा।
बुआ: देख इसे स्पर्म बोलते है। जब बड़े हो जाते है, तब ये लंड से निकलता है।
और देखते ही देखते मेरा लंड छोटा हो गया।
मैं: बुआ ये तो वापिस छोटा हो रहा है।
बुआ: देखा, बोला था ना ऐसे होता है ये वापिस छोटा। ये बात तूने मुझसे तो कर ली, और किसी से मत करना। कोई भी तकलीफ हो तो सीधा मेरे पास आना।
फिर उसके बाद से जब भी मैं बुआ से मिलता, तो बुआ मेरा स्पर्म निकालती। कुछ टाइम बाद मेरा स्पर्म काफी सारा बनने लगा। एक दिन बुआ ने मेरा लंड हिलाया, तो खूब सारा स्पर्म निकला, और पूरा बुआ के ऊपर फेल गया।
मैं: सॉरी बुआ मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।
बुआ: अरे ये तो होता है। लड़कियों को स्पर्म बहुत पसंद होता है। यह बोलते हुए बुआ ने अपने चेहरे पर से स्पर्म लिया, और उसे चाट गई।
मैं: छी बुआ, ये क्या कर रहे हो?
बुआ: लड़कियों को इसे चाटना बहुत पसंद होता है। वो तो इसे सीधा चाट जाती है।
ये कह कर बुआ ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। मेरा नरम पड़ चुके लंड को बुआ अपनी जीभ से चूस रही थी। उनके मुंह में लेने से मुझे फिरसे कुछ अजीब सा लगा, और देखते ही देखते मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। उसके बाद बुआ ने लॉलीपॉप की तरह मेरा लंड चूसा, और गन्ने की तरह निचोड़ कर मेरा सारा स्पर्म पी गई।
इसके बाद से मैं हमेशा बुआ से मुंह में लेने के लिए जिद करने लगा। कई बार तो बुआ मना भी करती, तो भी मैं उनके मुंह में अपना लंड भर देता।
बुआ बोलती: तू तो बहुत बदतमीज़ होता जा रहा है।
पर अब मुझे लत लग चुकी थी। बुआ के मुंह में मुठ मारे बिना रहा नहीं जाता था।
फिर मैंने पोर्न देखना भी शुरू कर दिया, जिसके बाद मेरी हवस और बढ़ने लगी। उसके बाद मैंने बुआ के बोबे दबाने और गांड पर हाथ लगाना भी शुरू कर दिया। मैं कई बार पीछे से बुआ को कस कर पकड़ लेता, और अपने दोनों हाथों से बुआ के बोबे दबाता, और अपना कड़क लंड बुआ की गांड पर दबाता। बुआ भी कभी मजे लेती। एक दिन घर पर जब बुआ अकेली थी, तो मैंने जाकर उनकी गांड पर चट करके मारी।
बुआ: राजू ये क्या बदतमीज़ी है? अपनी बुआ को ऐसे मारते है क्या?
मैं (बुआ को पलटा कर उनकी गांड पर लंड से झटके मारते हुए): नहीं बुआ ऐसे मारते है।
बुआ ने पलट कर मुझे थप्पड़ मार दिया। जिसके बाद मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने बुआ को जमीन पर बिठाते हुए कहा-
मैं: चुप चाप मेरा लंड निकालो और चूसो।
बुआ: आज नहीं। राजू ऐसा मत कर।
मैं: निकाल कर चूस, नहीं तो मैं सब को बता दूंगा कि आपने मेरा लंड चूसा था।
बुआ ने मेरा लंड बाहर निकाला और चूसने लगी। मैंने जानवरों की तरह बुआ के मुंह को चोदा। दीवार पर सटा कर जोरों से पेले जा रहा था। फिर काफी देर बाद मैं रुका और बोला-
मैं: कपड़े उतारो।
बुआ: ये ज्यादा हो रहा है।
मैं: ज्यादा तो मैं बताऊंगा क्या होता है। बहुत हवस चढ़ी थी ना लंड चूसने की। आज इसी लंड से रंडी की तरह चोदूंगा। उतार कपड़े।
बुआ ने अपने कपड़े उतारे, और मैं उनके बोबे चूसने लगा। फिर उनकी चूत में उंगली करने लगा। बुआ को काफी मजा भी आ रहा था, पर मुझे गुस्सा भी दिखा रही थी। फिर मैंने बुआ को बिस्तर पर पटका, और पीछे से अपना कड़क मोटा लंबा लंड उनकी चूत में घुसा दिया। बुआ की चीखें निकल गई। उसके बाद मैंने बुआ को कुतिया की तरह चोदा। बुआ बस आह उह कर रही थी।
बुआ ने चादर को कस कर पकड़ रखा था, और मैं उनके पीछे से झटके पर झटके दिए जा रहा था। फिर मैंने बुआ को पलटा कर, उनकी टांगे अपने कंधे पर रख कर, झटके मारने शुरू कर दिये। काफी देर तक धीरे-धीरे झटके देता गया। जैसे ही वापिस दम आया, तो मैंने बुआ की दोनो टांगे उनके कंधे की तरफ करी, और पूरा उपर चढ़ गया। फिर जोरों से पेलने लगा।
पूरा पलंग आवाज कर रहा था, और बुआ हर झटके के साथ चीखे जा रही थी। अब हम एक-दूसरे की आखों में देख कर चुदाई कर रहे थे। मुझे बुआ की आखों में चरमसुख आता दिख रहा था। मैं भी काफी करीब था। फिर कुछ ही देर में हम दोनों जोरों से सिसकियां लेने लगे, और आह आह की आवाज़ करने लगे।
बुआ: बस थोड़ा और बस थोड़ा और (चिला रही थी)।
और फिर एक-दम से आह आह और हम दोनों ने चरमसुख पा लिया था। मेरा सारा स्पर्म बुआ की चूत में ही झड़ गया। बुआ ने अपनी चूत में उंगली डाल कर मेरा स्पर्म बाहर निकाला, और चाट गई।
फिर मुझसे बोली: आज से मैं तेरी रंडी, जब चाहे तब चोद देना मुझे।
मैं: अगली बार हाथ उठाया तो गांड ही मार लूंगा। और ऐसे रोज मेरा लंड चूसना बिना नखरे करे। कभी भी ना-नुकुर करी, तो ऐसी गांड मरूंगा कि सीधे चल नहीं पाओगी।
बुआ: अब बिल्कुल मना नहीं करूंगी। और तेरा जब मन करे बुआ की गांड मारने का, तब मार लेना गांड भी। वैसे भी आज की चुदाई के बाद मैं ये लंड अपने अंदर लिए बिना रह नहीं पाऊंगी।
उसके बाद से बुआ और मैं एक-दम करीबी बन गए। घर परिवार में सब यही बोलते थे, बुआ भतीजे में तो बहुत प्यार है। बेचारे घर वालों को क्या पता कि हमारा प्यार रोज बरसता है।